April 8th, 2024

Parenting guide: know what is juvenile arthritis symptoms and causes and preventions joint knee pain in kids

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Juvenile Arthritis Symptoms: अगर अब तक आप भी यही समझते रहे हैं कि गठिया रोग सिर्फ बुजुर्गों को होने वाली बीमारी है तो जल्द ही आपको अपनी राय बदलनी पड़ सकती है। जी हां, जुवेनाइल आर्थराइटिस बच्चों में होने वाली एक ऑटोइम्यून बीमारी है। यह बीमारी 16 साल या उससे कम उम्र के बच्चों को प्रभावित करती है। आंकड़ों पर ध्यान दें तो हमारे देश में हर 1,000 बच्चों में से एक बच्चा इस बीमारी से प्रभावित है। आइए जानते हैं आखिर क्या बच्चों को होने वाला जुवेनाइल अर्थराइटिस और इसके लक्षण और बचाव के उपाय। 

क्या होता है जुवेनाइल अर्थराइटिस?

जुवेनाइल आर्थराइटिस बच्चों को होने वाली एक ऑटोइम्यून बीमारी है, जो 5 से 16 साल से कम उम्र के बच्चों में गठिया का सबसे आम रूप होता है। इस रोग में 6 हफ्तों से ज़्यादा समय तक जोड़ों में दर्द बना रहता है। इस रोग से पीड़ित बच्चों में सिनोवियम की सूजन होती है। सिनोवियम जोड़ों के भीतर मौजूद एक टिश्‍यू है जो उन्‍हें सही तरह से काम करने में मदद करता है। लेकिन जुवेनाइल अर्थराइटिस से पीड़ित होने पर ये सीधे बच्चों के घुटनों पर हमला करता है। 

बच्चों में गठिया का कारण-

जेनेटिक 

-अनहेल्दी लाइफस्टाइल 

-जीरो फिजिकली एक्टिविटी

-न्यूट्रिशन की कमी (डाइट में कैल्शिम,मैग्नीशियम और प्रोटीन की कमी)

-एक्सरसाइज ना करना

-घर के बार ना खेलना

-धूप की कमी। 

बच्चों में गठिया के लक्षण-

-बच्चों के पैरों में दर्द रहना

-पीठ में दर्द की शिकायत करना

-सोकर उठने के बाद हाथों, पैरों, टखनों, कंधों और कोहनी में दर्द

-आंख के आस-पास सूजन

-थका हुआ और सुस्त लगना

-भूख ना लगना

-वजन बढ़ना

-तेज बुखार 

-पूरे शरीर पर दाने या रैशेज 

जुवेनाइल अर्थराइटिस के उपाय-

हालांकि जुवेनाइल आर्थराइटिस के लक्षण और कारणों के लेकर अब भी भ्रम की स्थिति बनी हुई है। लेकिन जुवेनाइल आर्थराटिस के उपचार में आमतौर पर व्यायाम और दवा दोनों को शामिल किया जाता है। दवाओं के साथ बच्चों की लाइफस्टाइल को फिजिकली एक्टिव बनाए रखने की कोशिश करें। बात अगर बच्चों की डाइट की करें तो उनकी डाइट में हरी सब्जियां, साग,ड्राई फ्रूट्स,विटामिन सी से भरपूर खट्टे फूड्स,दूध और पनीर जैसी चीजों को शामिल करें। इसके अलावा बाल रोग विशेषज्ञ, रुमेटोलॉजिस्ट, बाल चिकित्सा आर्थोपेडिक सर्जन से नियमित तौर पर बच्चे की जांच करवाने से इस बीमारी से उसे बचाए रखने में मदद मिल सकती है। 

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