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Yoga Poses For Prostate: खराब लाइफस्टाइल,जेनेटिक समस्या, खानपान की गलत आदतें और तनाव जैसे कारण पुरुषों में प्रोस्टेंट समस्या के बढ़ने का कारण बनते हैं। कुछ साल पहले तक यह माना जाता रहा है कि प्रोस्टेट की समस्या 40 साल से ज्यादा उम्र वाले व्यक्तियों को अधिक परेशान करती है। जिसकी वजह से पीड़ित को मूत्र विसर्जन करने में परेशानी आती है। लेकिन कुछ हालिया शोध बताते हैं कि अब प्रोस्टेट की समस्या 40 साल की उम्र में भी पुरुषों के बीच तेजी से बढ़ रही है।
क्या होता है प्रोस्टेट?
प्रोस्टेट ग्लैंड पुरुषों में पाया जाता है। कई कारणों की वजह से इस ग्लैंड के टिशू बढ़ने लगते हैं। जिसके कारण ग्लैंड एनलार्ज होकर यूरिन के फ्लो को रोकते हैं। आसान शब्दों में समझे तो प्रोस्टेट शरीर का एक ग्लैंड होता है जो द्रव को उत्पन्न करता है। प्रोस्टेट शरीर के मूत्राशय के चारों तरफ फैला होता है। इसके बढ़ने से मूत्र मार्ग में ब्लॉकेज आ जाता है, जिससे मूत्र और किडनी को लेकर कई बीमारियां होती है। राहत की बात यह है कि कुछ योगासनों को रूटिन में शामिल करने से प्रोस्टेट बढ़ने को कम किया जा सकता है। आइए जानते हैं प्रोस्टेट को हेल्दी रखने के लिए कौन से योगासन करने चाहिए।
प्रोस्टेट को हेल्दी रखने वाले योगासन-
योगमुद्रासन-
योगमुद्रासन को रोजाना 2-3 मिनट करने से प्रोस्टेट हमेशा हेल्दी बना रहेगा। जिससे ब्लैडर या प्रोस्टेट कैंसर जैसी बीमारियों से आसानी से बचा जा सकता है। इतना ही नहीं यह योग मुद्रा पेट से जुड़ी समस्याओं को कम करने के साथ वेट लॉस में भी बेहद फायदेमंद है। योगमुद्रासन करने के लिए सबसे पहले एक साफ हवादार स्थान में अपना योग आसन लगाएं। अब पद्मासन लगाकर दोनों हाथों को पीठ की तरफ आराम से लेकर जाएं। एक हाथ से पीठ के पीछे की ओर से दूसरे हाथ की कलाई को पकड़ लें। फिर श्वास छोड़ते हुए शरीर को आगे की तरफ झुकाकर भूमि पर टेक दें और श्वास को रोक कर लें। ध्यान रखें कि जब आगे की तरफ झुके तब तक कमर ऊपर की तरफ ना उठाएं। धीरे-धीरे सांस अंदर की तरफ खींचते हुए सिर उठाएं और दोबारा पहली अवस्था में आ जाएं।
गोमुखासन-
गोमुखासन करने से मूत्र मार्ग के ब्लॉकेज खुलते हैं। बढ़ी हुई प्रोस्टेट ग्रंथि कम हो जाती है। गोमुखासन करने के लिए सबसे पहले सुखासन की मुद्रा में बैठकर दाएं पैर को बाएं पैर के ऊपर लाकर बैठें। ऐसा करते समय आपके दोनों पैर घुटने ऊपर होने चाहिए। दाएं हाथ को सिर की ओर से पीछे की ओर ले जाएं। अब बाएं हाथ की कोहनी को मोड़कर पेट की ओर से घुमाते हुए पीठ की ओर ले जाएं। अब दोनों हाथों को पीछे मिलाते हुए एक सीधी रेखा बनाएं। कुछ देर तक इसी मुद्रा में रहें और फिर विश्राम मुद्रा में आ जाएं। थोड़ा रिलेक्स होने के बाद इस मुद्रा को दोबारा दोहराएं।
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