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संदीप रेड्डी वांगा की फिल्म एनिमल अपने कॉन्टेंट और डायलॉग्स को लेकर विवाद में रही है। गजल धालीवाल, जो कि खुद एक स्क्रीनराइटर हैं। उन्होंने एनिमल के डायलॉग राइटर सौरभ गुप्ता के साथ मूवी पर डिबेट किया तो कई इंट्रेस्टिंग बातें सामने आईं। गजल ने इस फिल्म के सीन्स से लेकर किरदारों तक की बखिया उधेड़ी। सौरभ ने सपोर्ट में इंट्रेस्टिंग तर्क दिए।
FICCI Frames का एक वीडियो ब्रूट इंडिया ने शेयर किया है। इसमें गजल बोलीं, फिल्म के हीरो रणबीर कपूर, इस तरह का बर्ताव कर सकते हैं और बोल सकते हैं कि ‘तुम महीने में 4 पैड बदलती हो और इतना ड्रामा’। अगर एक हीरो इस तरह की चीजें बोलेगा तो देखने वाला भले ही ये सब ना बोले लेकिन उसके दिमाग में आ जाएगा। वह अपनी जॉब में कह सकता है, वह इतना ड्रामा कर रही है, आज इन्हें छुट्टी चाहिए क्योंकि पीरियड्स हो रहे हैं।
इस पर सौरभ ने जवाब दिया, सिनेमा से लोगों को सैनिटरी नैपकिन्स की जरूरत समझाना, बताना की स्मोकिंग खराब है, शराब बुरी है… सिनेमा पर बहुत प्रेशर हो गया है। थोड़ा मजा भी लीजिए।
मूवी में विलन अबरार का किरदार मुस्लिम है। गजल फिल्म पर इस्लामोफोबिया को लेकर उठ रहे सवालों पर भी बोलीं। उन्होंने कहा कि फिल्म में ऐसा भी दिखाया गया है। सौरभ बोले कि टीम को लॉजिकली लगा कि बॉबी का किरदार अबरार हक इस ट्रांजीशीन से गुजरेगा।
वह बोलते हैं, ‘क्योंकि रिश्ते में पुरानी दरार थी, इसलिए उसके दादाजी अलग हो चुके थे, धर्म बदल लिया था। हमारे लिए ये सारी चीजें लॉजिकली चल रही थीं। अब हमें अहसास हो रहा है कि अच्छा ऐसा भी सोचा जा रहा है। लेकिन हीरो भी विलन के तौर पर किसी राक्षस से कम नहीं बना है। वह तो हिंदू है पर किसी ने नहीं कहा कि आपने एक हिंदू को ऐसा दिखाया है।’
इस पर गजल बोलीं, यह तो कहने वाली बात है कि यह एक कहानी है और किरदार ने ऐसा किया। लेकिन रुककर सोचना चाहिए कि वो किरदार आपने गढ़ा है। राइटर ही कैरेक्टर के लिए स्टोरी तय करता है। आपने कैरेक्टर से ऐसा करवाया ही क्यों?
आपने तय किया कि उसका भाई विदेश जाकर धर्म बदल लेगा। आपने तय किया कि किरदार धर्म बदलकर एक स्टीरियोटाइप मुस्लिम बनेगा जिसकी तीन बीवियां होंगी, गुस्सैल होगा, पत्नियों को मारेगा और 100 लोगों के सामने उन पर झपट पड़ेगा।
इस पर सौरभ सहमत हुए कि हां ये बड़ी दिक्कत है कि सिनेमा में समुदायों को खास तरह से दिखाया जाता है। लेकिन ये सवाल बड़े स्तर पर उठना चाहिए। गजल बोलती हैं कि महिलाओं के साथ भी निर्दयता दिखाई गई है। रश्मिका ने अपने मां-बाप सब छोड़ दिए। रणबीर का परिवार, कजिन्स, बढ़िया बिजनस सब कुछ था। उन्होंने फिल्म को सैड एंडिग वाला कहा।
सौरभ बोले, महिलाओं को कमजोर दिखाने के लिए फिल्म नहीं बनाई थी। मुझे लगता है कि हीरो की पत्नी को कई अधिकार मिले थे। आखिर में वह उसे छोड़कर चली भी जाती है। वह सब कुछ खो देता है। गजल ने आखिर में फिल्म की तारीफ भी की।
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